Ahankar Ka Bhut अहंकार का भूत

Ahankar Ka Bhut अहंकार का भूत

एक राजा के दो बेटे थे। बड़ा भाई अहंकारी और लालची था, जबकि छोटा भाई मेहनती और परोपकारी। राजा की मौत के बाद बड़ा भाई गद्दी पर बैठा। उसके अत्याचारों से जनता परेशान हो गई। लेकिन छोटा भाई चुपके-चुपके जनता की मदद करता रहता था। लोग उसकी प्रशंसा करते। इसका पता जब बड़े भाई को लगा तो उसने छोटे भाई को बुलाकर कहा, ‘मैं इस राज्य का राजा हूं। मेरी इजाजत के बगैर तुम किसी की मदद नहीं करोगे और न ही जनता से बराबर का रिश्ता रखोगे।’

    इस पर छोटे भाई ने कहा, ‘भइया, जनता की सेवा करना मेरा कत्र्तव्य है। वह मैं करता रहूंगा।’ नाराज होकर बड़े भाई ने छोटे भाई को थोड़ी जमीन देकर अलग कर दिया। छोटे भाई ने उस जमीन पर आम का बगीचा लगाया। बगीचे की देखभाल वह स्वयं करता था। जल्दी ही पेड़ों में फल आने लगे। उस रास्ते जो भी मुसाफिर जाता, बगीचे के मीठे फल खाकर खुश होता और दुआएं देता। छोटे भाई की शोहरत पहले से ज्यादा होने लगीं।

    अहंकारी बड़े भाई ने सोचा कि यदि वह अपनी जमीन पर भी आम का बगीचा लगाए तो उसे खाकर लोग बाग की प्रशंसा करने लगेंगे और छोटे भाई को भूल जाएंगे। यह सोचकर उसने भी आम के पेड़ लगवाए और उनकी देखभाल के लिए दर्जनों मजदूर रखे। पेड़ बड़े हो गए, लेकिन उनमें फल नहीं आए। बड़े भाई ने माली से पूछा, ‘इनमें फल क्यों नही आ रहे हैं?’ माली बोला, ‘पेड़ों की देखभाल में तो कोई कमी नहीं हुई। शायद किसी न टोना-टोटका कर दिया है।’ बड़े भाई ने झाड़-फंूक भी करवाई, तब भी फल नहीं आए। एक दिन उधर से एक संत आ रहे थे। सारा वृत्तांत सुनकर उन्होंने कहा, ‘इन में फल नहीं आएंगे, क्योंकि इन पेड़ों पर अहंकार के भूत की छाया पड़ी हुई है। जब तक अहंकार रूपी भूत नहीं भागेगा, तब तक सारे पेड़ ऐसे ही रहेंगे।’ संत का मर्म समझ कर बड़ा भाई शर्मिंदा हो गया।