मेरा पड़ोसी
संतोष पंडिता 'प्रेरणा
मेरे अधजले मकान से
उठता धुआं देख
आज खुश हो रहा होगा
मेरा पड़ोसी,
नियत उसकी बिगड़ी थी
उसी दिन
जब मकान की नींव
रखते हुए उसने कहा था,
'एक दिन यह आशियाना
आएगा हमारे ही काम'।
हमने उसकी सच्ची बात को
टाला था कि
रशीद विश्वासघाती
नहीं हो सकता।
आज उसने अपना
नाम बदल दिया है
वह किसी गैरकानूनी संगठन का
स्वयं भू नेता
बन गया है।
अस्वीकरण :
उपरोक्त लेख में व्यक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं और kashmiribhatta.in उपरोक्त लेख में व्यक्त विचारों के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। लेख इसके संबंधित स्वामी या स्वामियों का है और यह साइट इस पर किसी अधिकार का दावा नहीं करती है। कॉपीराइट अधिनियम 1976 की धारा 107 के तहत कॉपीराइट अस्वीकरण, आलोचना, टिप्पणी, समाचार रिपोर्टिंग, शिक्षण, छात्रवृत्ति, शिक्षा और अनुसंधान जैसे उद्देश्यों के लिए "उचित उपयोग" किया जा सकता है। उचित उपयोग कॉपीराइट क़ानून द्वारा अनुमत उपयोग है जो अन्यथा उल्लंघनकारी हो सकता है।"
साभार:- संतोष पंडिता 'प्रेरणा एवं 10 अप्रैल 1994 पाञ्चजन्य