दिवान कथ छुख बेयन निश म्यान्य बारव।
ब बदलोवुस मेहरबानव त यारव।।
छोतुम प्योम बाथ येलि येलि वाॅर्य वाॅच़म ।
दितुम मा जा़ह ति बाॅथाह म्वंजट हारव ।।
बे-ज़ान्यन क्या तिमव विज़ि विज़ि बोरूम लोल ।
अमा पोज़ काॅपनोवुस जा़न्य कारव।।
गरा शेहजार ज़न छुम नार मनकल ।
गरा जा़ेलुस बहारव आबुशारव ।।
र्वन्यन हुंद श्रवन्य गछ़ान तंबलान छुम मन।
यि मा मॅच़रोवुहस हारव त द्यारव।।
व्वलो बागस अच़व पोशन करव गंद्य।
व्वलो पेचाननय अॅस्य वांक पारव।।
ओतामथ आॅस्य गटि मंज़ गाश छ़ारान ।
वॅलिव गाशस अंदर व्वन्य आश छ़ाराव।।
यिमव सोवुस ब तिमवय वजनोवुस ।
खबर कोरूहम यि क्या बातव त शारव।।
छु कुन कुन्दन त अॅद्य पख्य फितन वाराह।
कमन गोश दिथ कमन अॅस्य सीन दारव।।
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साभार: आलव April 2007 व त्रिलोकी नाथ धर ‘कुन्दन’