याद

याद


फिर से लौट आए हो तुम

एक तूफानी लहर बनकर

फिर से आओगे किसी और शक्ल में

हर बार तुम्हारे आने से

यह सच है

कांप उठेंगी दिशाएं

डर दिशा से गूंजेंगे

प्रार्थनाओं के बोल

अपनों के खो जाने से

त्राहि-त्राहि मच जाएगा

अभी तो भूल गए थे

फिर भूल जाएंगे

एक याद बनकर रह जाओगे।

 

अस्वीकरण :

उपरोक्त लेख में व्यक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं और kashmiribhatta.in उपरोक्त लेख में व्यक्त विचारों के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। लेख इसके संबंधित स्वामी या स्वामियों का है और यह साइट इस पर किसी अधिकार का दावा नहीं करती है। कॉपीराइट अधिनियम 1976 की धारा 107 के तहत कॉपीराइट अस्वीकरण, आलोचना, टिप्पणी, समाचार रिपोर्टिंग, शिक्षण, छात्रवृत्ति, शिक्षा और अनुसंधान जैसे उद्देश्यों के लिए "उचित उपयोग" के लिए भत्ता दिया जाता है। उचित उपयोग कॉपीराइट क़ानून द्वारा अनुमत उपयोग है जो अन्यथा उल्लंघनकारी हो सकता है।"

साभार: महाराजकृष्ण भरत एवं जून 2021 कॉशुर समाचार