मुस्कान मधुर मुस्कान

मुस्कान मधुर मुस्कान


मुस्कान मधुर मुस्कान

आर सी कौल पम्पोश

 

हर कश्मीरी विस्थापित घर में

हे प्रभू। फैले शुची मन मुस्कान ।

फैले हर पल दिन रात

मुस्कान, मधुर मुस्कान, केवल मुस्कान ।।

क्या अभी हम न समझे प्रभु की लीला

बन्दूक की नोक पर छोड़ दिया मातृभूमि में घरबार।

त्याग दिया सारा पर बचा ली बहू-बेटियों की लाज

जो भी बचे आतंक से, दे दो उनको मुस्कान

जाति के कर्णधारो। शुभ चिंतको| नवयुवको।

उठो, जागो, दे दो घर-घर शूरवीरता वरदान

बढ़े चलो हे ऋषि पुत्रो। मातृभूमि का रखो मान

भूल न जाओ परस्पर सर्वधर्म सद्भाव

कथनी कम करणी ज्यादा रखो संतजनों की शान।

थाम लो गिरने बालों को बनो सहायक बुद्धिमान ।

सत्य, शांत, रस-सरस करो अमृत पान

पम्पोश' क्यारी झील डल-

भंवर में फंसी है नाव

बढ़े चलो हे 'कश्यप' संतानो

जोर से बोलो 'जयकारा

मिलजुल करो काम, रखो मातृभूमि की शान।

माता-पिता, सास-ससुर, सेवा में कोई भेद नहीं

बहू, बेटी, भाई, बहन, पुत्र व दामाद

परस्पर प्यार और सेवा में

सभी की सेवा में है प्रभू वरदान

नील गगन से यह विचित्र गरज

विस्थापित के पश्चात क्या न सुनी?

परस्पर रखो सहानुभूति, श्रद्धाभाव, मेल मिलाप

दे दो हर पल 'शंखनाद' हम सब एक है

जोर से बोलो 'जय हिंद' रखो भारत की शान

अस्वीकरण:

उपरोक्त लेख में व्यक्त विचार अभिजीत चक्रवर्ती के व्यक्तिगत विचार हैं और कश्मीरीभट्टा .इन उपरोक्त लेख में व्यक्तविचारों के लिए जिम्मेदार नहीं है।

साभार:-  आर.सी. कौल 'पम्पोश   एंव  2019   मार्च  कॉशुर समाचार