चाय के बारे में कुछ वाक्य 

 चाय के बारे में कुछ वाक्य 


 चाय के बारे में कुछ वाक्य 

महाराज कृष्ण संतोषी 

विश्व चाय दिवस के अवसर पर

कविता

चाय पीते हुए

मुझे लगता है

जैसे पृथवी का सारा प्यार

मुझे मिल रहा होता है कहते है

बोधिधर्म की पलकों से

उपजी थी चाय की पत्तिया

पर मुझे लगता है।

भिक्षु नहीं

प्रेमी रहा होगा बोधिधर्म

जिस ने रात रात भर जागते हुए

रचा होगा

आत्मा के एकांत में

अपने प्रेम का आदर्श

मुझे लगता है।

दुनिया में कहीं भी जब दो आदमी

मेज के आमने सामने बैठे

चाय पी रहे होते हैं

तो वहां स्वयं आ जाते है तथागत

और आस पास की हवा को

मैत्री में बदल देते हैं

आप विश्वास करें

या नहीं

पर चाय की प्याली में

दुनिया को बदलने की ताकत है।

(आत्मा की निगरानी में कविता संग्रह में संकलित)

अस्वीकरण:

उपरोक्त लेख में व्यक्त विचार अभिजीत चक्रवर्ती के व्यक्तिगत विचार हैं और कश्मीरीभट्टा .इन उपरोक्त लेख में व्यक्तविचारों के लिए जिम्मेदार नहीं है।

साभार:- महाराज कृष्ण संतोषी एंव जून 2023 कॉशुर समाचार