चित्र और कविता
रवि धर चित्रकार
यह दिवस अत्यन्त महत्व पूर्ण है
मातृ देवी प्रकृति आप सम्पूर्ण है,
अभ्योदय का, सृष्टि निर्माण का
श्रद्धा, संकल्प और सम्मान का।
मैया जननी है तू, धरित्री है तू हे माते !
वह जननी है तू जिससे दुलार है पाते।
हाथ हमारा थामती प्रतिक्षण जो
उत्साह हमारा बढ़ाती अनुक्षण वो।
सुरक्षा कवच बन खिलाती रहती हो
प्रतिपल अपना रक्त पिलाती रहती हो।
आँचल की छाँव में तेरी ममता के
पौष्टिक दुग्ध पान की पूर्ण क्षमता से ।
हर्ष और उल्लास से हम हैं पलते
मातृत्व के साये में हम निरंतर चलते।
सुरक्षित रहते हैं पाकर तेरा साया
शिशु से तरुण पल जब भी आया।
सामने होते हैं विचार तब भी तेरे
जब भी कठिनाई के मर्म हो मेरे।
किलकारिया करने पर स्नेह पिला देते हो
चुपके-चुपके प्रेम से वात्सल्य खिला देते हो
हर चिता से दूर रहें परे हम हर बला से,
किसी की नजर न लगे तुम्हारे लल्ला के ।
यही है पूजा स्थल मन में तेरी मूरत,
यही मेरा मन्दिर नयन में तेरी सूरत
है समर्पित तुझें आज का यह दिवस
यही है अंतर्राष्ट्रीय मातृत्व का दिवस
मातृ आसक्ति का एक एहसास है तू
करुणा का मातृ भूमि का विश्वास है तू
तेरा वात्सल्य प्रकट होता है मूर्तिमान
इस आयु में भी ऊर्जा पाते है इनसान।
जय माते! जय जननि! जय जनयित्री
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी !
अस्वीकरण:
उपरोक्त लेख में व्यक्त विचार अभिजीत चक्रवर्ती के व्यक्तिगत विचार हैं और कश्मीरीभट्टा .इन उपरोक्त लेख में व्यक्तविचारों के लिए जिम्मेदार नहीं है।
साभार:- रवि धर ‘चित्रकार’ एंव दिसम्बर 2022 कॉशुर समाचार