दो लघु कविताएं - युद्ध
बलजीत सिंह रैना
टल गया होगा आपके लिए
आप जो सीमाओं पर
दो देशों की फौजी लड़ाई को
युद्ध कहते है
युद्ध को-
आप क्या समझेंगे?
अरे हम एक अरसे से
युद्ध को भोगते चले आ रहे हैं।
कभी हमारे पास आएं
तो हम बताएँ!
सैंतालिस में मुजफराबाद से उजड़े थे
पैसठ में पुंछ से
इकहत्तर में छम्ब से
चौरासी में दिल्ली से
और अब नब्बे में कश्मीर से !
हम !
जिन्हें जीते जी स्वर्गवासी होने का
सम्मान हासिल है।
हम भारत की वे फौज हैं
केवल लड़ते रहना ही
नीवति है जिसकी
'युद्ध' टल गया होगा आपके लिए
आप जो सीमाओं पर
दो देशों की फौजी लड़ाई को
युद्ध कहते हैं....
पताः कुंजवानी, शहीद फिलिंग स्टेशन के पीछे डाकखाना, गंगयाल, जम्मू-180010
अस्वीकरण:
उपरोक्त लेख में व्यक्त विचार अभिजीत चक्रवर्ती के व्यक्तिगत विचार हैं और कश्मीरीभट्टा .इन उपरोक्त लेख में व्यक्तविचारों के लिए जिम्मेदार नहीं है।
साभार:- बलजीत सिंह रैना एंव अप्रैल-मई 1995 कोशुर समाचार