प्रो. पृथ्वीनाथ पुष्प के लिए
Maharaj Krishan Santoshi
पुष्प की स्मृति में श्रद्धांजलि स्वरूप
पुष्प की आयु
उसकी पत्तियों में नहीं
गंध में हुआ करती है।
जानता है आकाश
तभी
जब धरती पर
खिल जाता है।
कहीं कोई पुष्प
उसे लगता है
एक और पारा चमक उठा
उसकी नीलिमा में?
हमारे लिए अब यह सोचना
कितना सकून देने वाला है।
जिसे धरती पर मुस्कुराते देखा
कि इतनी देर
उसे अब देखने के लिए
सर उठा कर
पहले देखना होगा आकाश।
- महाराज कृष्ण संतोषी
अस्वीकरण:
उपरोक्त लेख में व्यक्त विचार अभिजीत चक्रवर्ती के व्यक्तिगत विचार हैं और कश्मीरीभट्टा .इन उपरोक्त लेख में व्यक्तविचारों के लिए जिम्मेदार नहीं है।
साभार:- महाराज कृष्ण संतोषी एंव 1996 नवम्बर कोशुर समाचार