01-03-1996 अपनी बात - कोशुर समाचार मार्च 1996

01-03-1996 अपनी बात - कोशुर समाचार मार्च 1996


01-03-1996 अपनी बात - कोशुर समाचार मार्च 1996

चमन लाल सप्रू  

प्रिय बन्धुओ

नमस्कार !

आजादी के बाद दिल्ली में बसने आए कश्मीरी समाज ने कश्मीरी समिति, दिल्ली की स्थापना की। कश्मीर भवन बना और 'कोशुर समाचार' पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया जो अब कश्मीरी समाज की एक प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय पत्रिका बन गई है। इसके साथ ही कश्मीरी भाषी सामज ने सहकारिता के आधार पर पम्पोश एनक्लेव में तीन दशक पूर्व अपनी पहली कालोनी भी बसाई। इसमें एक मंदिर और स्कूल के लिए भी बहुत बड़े प्लाट हासिल किए। मंदिर बना, स्कूल भी आरंभ हुआ। फिर पम्पोश की सबसे बड़ी उपलब्धि थी—'कश्मीर एजूकेशन, कल्चर एण्ड साइंस सोसाइटी' की स्थापना । जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस सोसाइटी का उद्देश्य कश्मीर की विशिष्ट संस्कृति के संरक्षण और संवर्द्धन हेतु सक्रिय योगदान देना है। निःसंदेह यह एक श्लाघ्रीय प्रयास है। वर्ष 1985 में कश्मीर के वरिष्ठतम साहित्यकार दीनानाथ नादिन, ख्यातनाम चित्रकार गुलाम रसूल संतोष तथा अमेरिका में बसे वैज्ञानिक ओप्रा जी को प्रथम कल्हण एवार्ड प्रदान करके उपर्युक्त संस्था (KECSS) ने महत्त्वपूर्ण परंपरा का शुभारंभ किया।

आजकल KECSS की गतिविधियां कुछ धीमी गति से चल रही हैं। वर्तमान संदर्भ में इस संस्था पर महान उत्तर दायित्व आन पड़ा है। आवश्यकता इस बात की है कि आतंकवाद के कारण हमारी नष्ट हो रही अमूल्य धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जाए। एक ऐसे संग्रहालय की स्थापना को वरीयता दी जाए जहां हमारे दुर्लभ ग्रंथ, पाण्डुलिपियां अथवा उनको माइक्रो फिल्में, चित्र, मॉडल आदि सुरक्षित रखें जाएं, जिन्हें देखकर हमारी आने वाली संतति पांच हजार साल पुरानी सांस्कृतिक परंपरा पर गर्व कर सके और साथ ही प्रेरणा प्राप्त कर सके। हमारे शोधार्थी यहां आकर एक ही जगह पर बांछित सामग्री प्राप्त कर सके। इसके लिए भी यहां सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। घाटी से पलायन के कारण इस समय दिल्ली में हमारे समाज के अनेक वरिष्ठ विद्वान, इतिहासकार, साहित्यकार, कलाविद् पुरातत्व बेत्ता आदि मौजूद हैं जिनके परामर्श से 'कश्मीर संग्रहालय' की स्थापना की जा सकती है। हमारा मानना है कि यदि हम इस अवसर को चूक गए तो आगे इस परियोजना को साकार करने में अवश्य कठिनाई होगी। हमारा विश्वास है कि KECSS अपने योग्य अध्यक्ष संस्कृति कर्मी गौतम कौल जो के नेतृत्व में कश्मीरी कला भवन की स्थापना को साकार कर देगी।।

हमारे प्राचीन सप्तर्षि संवत् के अनुसार वासंतीय नवरात्रि की प्रतिपदा को नववर्ष का शुभारम्भ होता है। कश्मीरी भाषा में 'नवरेह' नए साल पर हम अपने पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए माँ शारिका से विनम्र निवेदन करते हुए प्रार्थना करते हैं कि अगले वर्ष हम सब विस्थापित पूर्ववत् हारीपर्वत में नवोल्लास के साथ नव वर्ष (नवरेह मनाएं।

तथास्तु |

शेष अगली बार!

आपका अपना

चमन लाल सप्रू

अस्वीकरण:

उपरोक्त लेख में व्यक्त विचार अभिजीत चक्रवर्ती के व्यक्तिगत विचार हैं और कश्मीरीभट्टा.इन उपरोक्त लेख में व्यक्त विचारों के लिए जिम्मेदार नहीं है।

साभार: चमन लाल सप्रू     एवं  मार्च 1996 कोशुर समाचार