अजंता के भीतर

अजंता के भीतर


अजंता के भीतर

Naadem  नादिम जी

प्रस्तुति - ओम्कार काचरू

 

कलाकार ने प्रकृति मां की कोख चुरा कर

दिव्य भावना को दर्शाया !

मूक शिला पर होंठ कल्पना के ललचाए]

इस चुम्बन से मूक शिला ने जिह्वा पाकर

दैवगान का राग अलापा !

एक मधुर मधुमाती अंगड़ाई इठलाकर

अंधकार को उज्जवल करके भीतर आई:

भीतर आकर बनी प्रतिमा

बनी प्रतिमा कालिदास की प्रतिभा छू कर

महायज्ञ का आंचल थामे !

 

अस्वीकरण:

उपरोक्त लेख में व्यक्त विचार नादिम जी के व्यक्तिगत विचार हैं और कश्मीरीभट्टा.इन उपरोक्त लेख में व्यक्त विचारों के लिए जिम्मेदार नहीं है।

साभार: नादिम जी एवम मार्च 1996  कोशुर समाचार कोशुर समाचार

प्रस्तुति - ओम्कार काचरू