01-02-1996 अपनी बात - फरवरी 1996 कोशुर समाचार

01-02-1996 अपनी बात - फरवरी 1996 कोशुर समाचार


अपनी बात कोशुर समाचार

प्रौफसर चमन लाल सपरू

 

प्रिय बन्धुओ,

नमस्कार।

 

आपके पास पत्रिका का यह अक पहुंचने तक लोकप्रिय कश्मीर फाईल प्रोग्राम के 50 एपिसोड प्रसारित हो चुके होंगे। निःसंदेह यह एक उल्लेखनीय घटना है। चार-छ: एपिसोड शुरू में स्वीकृत होने के उपरांत दूरदर्शन के अधिकारियों ने प्रति सप्ताह हमारे राज्य सम्बंधित - राजनैतिक एवं सांस्कृतिक घटनाओं पर आधारित  ‘कश्मीर फाईल‘ कार्यक्रम को अनिश्चित काल तक प्रसारित करने का मन बना लिया।

घाटी में पिछले छः साल से आहत जन-मानस के घावों पर मरहम एव पांच हजार साल की गौरवमयी सांस्कृतिक परम्परा पर नाश करने वाले कश्मीरी समाज तथा कश्मीर के दुःख-सुख में साथ देने वाले करोड़ों देशवासियों की जिज्ञासाओं को तृप्त करने वाले इस कार्यक्रम ने अपनी स्वर्ण जयन्ती मनाकर एक कीर्तिमान स्थापित किया।

जम्मू-कश्मीर राज्य एक प्रकार से छोटा भारत ही है। कहां लद्दाख की ऊंची-ऊंची चोटियां जहां 40° तापमान और कहां जम्मू-मंडल में कड़ाके की गर्मी का अनुभव कराने वाले क्षेत्र। फिर सभी धर्मावलम्बियों दर्जन भर भाषाओं के बोलने वालों का यह राज्य देश का माथा- शीर्षस्थान युग-युगों से ज्ञान-विज्ञान, कला, संस्कृति और साहित्य में पूरे देश का मार्ग दर्शन करने वाला यह शारदा देश कश्मीर आज आतंक वाद के घने बादलों की छाया में गुजर रहा है। इस आघात से निकाल कर के नन्दन कानन को पुनः खोए हुए वैभव तक पहुंचाने में यह कार्यक्रम अपना कर्त्तव्य बखूबी निभा रहा है।

कश्मीरी-भाषी प्रसिद्ध फिल्मकार अरुण कौल के स्वप्नों को साकार करते हुए उनका यह सीरियल निःसंदेह एक महान मिशन को सार्थक रूप में पेश कर रहा है। श्कश्मीर फाईलश् के निर्माता-निर्देशक और श्व्यथ-टेलिविजनश् की समर्पित टीम को हमारी बधाई हमारी शुभ कामनाएं।

निर्वासन में हम इस मास सातवीं शिवरात्रि मना रहे हैं। कश्मीरी समाज इसके लिए श्हेरथश् (हररात्रि) नाम का प्रयोग करते हैं। महाराष्ट्र में गणेश पूजा, और बंगाल में दुर्गा पूजा का जो महत्व है, वही महत्व कश्मीर में शिवरात्रि अर्थात हेरथ का है। इस पावन पर्व पर अपने पाठकों को हमारी हार्दिक शुभकामनाएं। अमरनाथ बाबा से हमारी प्रार्थना है कि हम सब अगले वर्ष अपने घरों में (कश्मीर में) शिवरात्रि मनाएं। तथास्तु ।

शेष अगली बार!

आपका

प्रौफसर चमन लाल सपरू

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साभार:  चमन लाल सपरू   एवं  फरवरी 1996 कोशुर समाचार