सौ प्रकार के अन पचा सकती है अजवायन

सौ प्रकार के अन पचा सकती है अजवायन

एका यमानी शतमनन याचिका

आयुर्वेद में यह वाक्य अजवायन के बारे में कहा जाता है जिसका अर्थ है कि अजवायन में सौ प्रकार के अन्न पचाने की क्षमता होती है । आमतौर पर सभी घरों में मसाले के रूप में अजवायन का प्रयोग किया जाता है । या तो पूरे देश में इसका पौधा लगाया जाता है परंतु बंगाल, दक्षिणी प्रदेश और पंजाब में इसकी पैदावार अधिक होती है ।

आयुर्वेद के अनुसार अजवायन पालक तीक्ष्ण, गरम, कड़वी, दीपन, चटपटी शुक्रवार निवारक, वीर्यजनक तथा पित्तवर्धक होती है । यह हृदय संबंधी रोगों में गुणकारी होती है । साथ ही यह कफनाशक, ज्वरनाशक, कृमिनाशक, मूत्रनाशक तथा उष्णवीर्य औषधि है । यह गर्भाशय तथा उत्तेजना देती है तथा वमन शूल उदर रोग, आमवात, बादी, बवासीर और प्लीहा के रोगों का नाश करती है ।

यूनानी मत के अनुसार अजवायन आर्द्रता शोषक, वातनाशक, कब्ज दूर करने वाली, पसीना, मूत्र, दुग्ध आर्जव निकालने वाली होती है । यह तीक्ष्ण तथा गर्म होती है जो आमाशय यकृत तथा गुर्दो को उष्णता तथा शक्ति देती है ।

वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार अजवायन की रासायनिक संरचना में आर्द्रता 7.4 प्रतिशत , कार्बोहाइट्रेट 24 21.8 प्रतिशत होता है । साथ ही इसमें  कैल्शियम, फास्फोरस, लौह, पौटेशियम, सोडियम, राइबोफ्लोविन, निकोटिनिक एसिड तथा कुछ अन्य तत्व भी पाए जाते हैं ।

बच्चों के पेट में होने वाले कृमि दूर करने के लिए अजवायन देना बहुत लाभकारी होता है । इसके लिए लगभग एक चौथाई नमकीन अजवायन बच्चों को दिन में तीन बार नियमित रूप से खिलानी चाहिए । रात को सोते समय चार - पांच बूंद अजवायन का तेल देने से भी लाभ मिलता है । बहुत बच्चों में मिट्टो या कोयला खाने की आदत होती है । इस आदत से छुटकारा पाने के लिए रात को सोते समय लगभग एक चम्मच अजवायन का चूर्ण नियमित रूप से तीन हफ्ते तक खिलाएं । अजवायन को चूने के पानी के साथ भी दिया जा सकता है । इन दोनों ही उपायों से बच्चे की मिट्टी या कोयला खाने की आदत छूट जायेगी । यदि बच्चा बिस्तर गीला करता है तो सोने से पूर्व एक ग्राम अजवायन का चूर्ण कुछ दिनों तक नियमित रूप से खिलाएं अवश्य लाभ मिलेगा । अजवायन एक प्रबल कीटाणुनाशक  है । सड़न रोकने वाली औषधियों में यह में सबसे श्रेष्ठ है । इसका प्रभाव जंतुनाशक, सड़न रोकने वाला तथा दुर्गध दूर करने वाला होता है । घाव तथा त्वचा रोगों में इसका प्रयोग उपयोगी होता है । गर्म पानी में न पिसी हुई अजवायन का लेप फुसियों, दाद, खाज - खुजली आदि पर लगाने से लाभ न होता है । दो चम्मच अजवायन को चार चम्मच दही में पीसकर रात में सोते समय चेहरे पर लगाएं और सुबह गर्म पानी से मुंह धो लें । इस प्रयोग से मुंहासों की समस्या दूर न होती है ।

पाचन की दृष्टि से अजवायन बहुत ही महत्वपूर्ण है । भोजन के तुरंत बाद यदि एक चौथाई चम्मच अजवायन चुटकी भर, नमक मिलाकर फांक ली जाए तो भोजन  आसानी से पच जाता है और गैस भी नहीं बनती । एक ग्राम काला नमक और दो ग्राम अजवायन मिलाकर गर्म पानी के साथ लेने  से पेट दर्द में तुरंत आराम मिलता है । अजीर्ण, अफारा, पेट दर्द, हैजा आदि दूर न करने के लिए अमृतधारा का प्रयोग लाभदायक होता है । इसे बचाने के लिए - अजवायन का सत्त, पिपरमेंट तथा कपूर तीनों को बराबर मात्रा में मिलाया जाता है । गैस की समस्या होने या काला नमक और अजवायन समान मात्रा में मिलाकर पिस लें । इस एक चम्मच मिश्रण को छाछ के साथ दिन में दो बार लें पिसी हुई अजवायन की एक चम्मच मात्रा सेंधा नमक के साथ लेने से अपच तथा मंदग्नि में विशेष लाभ मिलता है ।

जुकाम होने पर नाक बंद होना बहुत ही आम समस्या है । इसे दूर करने के लिए अजवायन गर्म करके या पीसकर सूती कपड़े में योटरती बांध लें । इस पोटली को दिन में कई बार सूंघने से बंद नाक खुल जाती है । फेफड़े संबंधी रोगों में अजवायन का सेवन कफ दूर करके कंफर्ट और छाती के दर्द में लाभकारी होता है । अजवायन को सरसों के तेल में डालकर गर्म करके इसे तेल की मालिश से खांसी जुकाम में तुरंत आराम मिलता है । एक चम्मच अजवायन को अच्छी तरह चबाकर गर्म पानी के साथ खाने से भी खांसी दूर होती है । रात में उठने वाली खांसी से बचने के लिए पान के पने में आधा चम्मच अजवायन लाटकर चबा - चबा कर उसका रस निकाल जाएं । गले में सूजन आ गई हो तो बहुत कुछ अधिक कफ बन रहा हो तो भी सोने से पूर्व पानी के साथ अजवायन और नीम की पत्नियां पीसकर माथे पर लेप करने से नाक से खून आना बंद हो जाता है । शीत पिन होने की अवस्था में अजवायन और गृह मिलाकर सेवन करना चाहिए । अजवायन के तेल की मालिश से गठिया के दर्द में भी राहत मिलती है । स्त्री रोग के उपचार में भी अजवायन का अपना ही महत्व है । प्रसूता को एक चम्मच अजवायन और दो चम्मच गुड़ मिलाकर दिन में लगभग तीन बार खिलाना चाहिए । इससे कमर का दर्द दूर होता है । गर्भाशय की शुद्धि होती है । साथ ही इससे भूख भी अच्छी लगती है और शरीर के बल परेशानियां अजवायन के प्रयोग से शीघ्र ही ठीक हो जाती है । अजवायन के प्रयोग से दूध भी अच्छा उतरता है । इसके अतिरिक्त अन्य अनेक बीमारियों के निदान के लिए अजवायन का प्रयोग किया जाता है । अजवायन के इतने औषधीय प्रयोगों को देखकर निश्चय ही इसे अन्य मामलों की अपेक्षा श्रेष्ठ स्थान दिया जा सकता है ।

 

अस्वीकरण:

उपरोक्त लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं और kashmiribhatta.in किसी भी तरह से उपरोक्त लेख में व्यक्त की गई राय के लिए जिम्मेदार नहीं है।                                                                                  

साभारः डा इस्माइल टाक    एवम् परिषद प्रभा - प्राकृतिक चिकित्सा  की मासिक पत्रिका  May 2009

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