Agrah  आग्रह

Agrah  आग्रह



मुझे अपनी शरण में ले लो राम।

लोचन मन में जगह न हो तो, युगल चरण में ले लो राम।।

मुझे अपनी शरण में ले लो राम।

राम तुम्हारे जगमग जग में, डग मग मेरे पांव पड़त है।

गिरने लगूं तो बांह पकड़ लो, गिर जाऊँ तो उठा लो राम।।

मुझे अपनी शरण में ले लो राम।

जीवन देकर जाल बिछाया, माया रचकर नाच नचाया।

मेरी चिन्ता तभी मिटेगी, निज चिन्तन में ले लो राम।।

मुझे अपनी शरण में ले लो राम।

तुमने लाखों पापी तारे, मेरी बार बाजी हारे।

मेरे पास नहीं पुन्य की पूंजी, पद पूजन में ले लो राम।।

मुझे अपनी शरण में ले लो राम।

मैं आया प्रभु शरण तुम्हारी, पाहि पाहि प्रणतारति हारी।

अनपायनी भक्ति प्रभु देकर, परम धाम में ले लो राम।।

मुझे अपनी शरण में ले लो राम।