Sant Vani संत-वाणी

Sant Vani संत-वाणी



बैठे अकेला दो घड़ी, कभी तो इश्वर ध्याया कर।

मन मन्दिर में गाफिला, तू झाड़ू रोज लगाया कर।।

सोने में तो रैन गंवाई, दिन भर तो करता पाप रहता।

बिस्तर से उठ प्रेमियों, सत्संग में नित आया कर।।

मन मन्दिर में गाफिला, तू झाड़ू रोज लगाया कर।।

बारम्बार जन्म का पाना, बच्चों वाला खेल नहीं।

पूर्व जन्म में सत्कर्मों कर, जब तक होता मेल नहीं।

मुक्ति पद पाने के लिए, तू उत्तम कर्म कमाया कर।

मन मन्दिर में गाफिला, तू झाड़ू रोज लगाया कर।।

पास तेरे हो दुखिया कोई, तूने मौज उड़ाई क्या।

भूखा प्यासा पड़ा पड़ौसी, तूने रोटी खाई क्या।।

पहले सबसे पूछकर प्राणी, पीछे रोटी खाया कर।

मन मन्दिर में गाफिला, तू झाड़ू रोज लगाया कर।।