Siya Ram Bina Dukh Koun Hare  सिया राम बिना दुख कौन हरे।

Siya Ram Bina Dukh Koun Hare  सिया राम बिना दुख कौन हरे।



सिया राम बिना दुख कौन हरे।

दीनों का पालन कौन करे।।

तुम दीन दयानु कहाते हो, दीनों के कष्ट मिटाते हो।

हम दीन दुखी हैं शरण तेरी, हम सबका पालन कौन करे।।

पृथ्वी का भार घटाते को, भक्तों का मान बढ़ाने को।

त्रेता युग में अवतार लिया, भक्तों का पालन कौन करे।।

गौतम की नारी अहिल्या को, प्रभु भव सागर से पार किया।

हम याचक तेरी पद रज के, हम सब का पालन कौन करे।।

केवट से अपने चरणों को, धुलवाये थे सुरसरि तट पर।

किया भव सागर से पार उसे, हम सब का तारण कौन करे।।

शबरी के आश्रम में जाकर, नवधा भक्ति थी बतलाई।

निज धाम दिया उसको भगवान्, दीनो का पालन कौन करे।।

लंका से भक्त विभिषण भी, आये थे तेरी शरणागत।

शरणागत की प्रभु लाज रखो, दीनो का पालन कौन करे।।