जग में सत्संग बिना मानव, सनमति गति पाना क्या जाने।
आसुरी प्रकृति के जो प्राणी, सत्संग में आना क्या जानें।।
जग में सत्संग बिना मानव, सनमति गति पाना क्या जाने।
जीवन में जितने दुख दिखते, वे निज दोषों के कारण हैं।
पर जिसमें इतना ज्ञान न हो, वह दोष मिटाना क्या जाने।।
जग में सत्संग बिना मानव, सनमति गति पाना क्या जाने।
उन्नति का साधन सेवा है, इससे ही आत्मा शुद्ध बने।
पर लोभी, मोही, अभिमानी, सेवक पद पाना क्या जाने।।
जग में सत्संग बिना मानव, सनमति गतिपाना क्या जाने।
गांजा, अफीम और भाँग, चरस, बीड़ी, सिगरेट पीने वाले।
व्यसनों को छोड़ न पाते जो, मन वश में लाना क्या जाने।।
जग में सत्संग बिना मानव, सनमति गतिपाना क्या जाने।
जो पहुँचे हुए सन्त जन हैं, उनसे पुछो पथ की बातें।
जो बाहार बाट बीच में हैं, वे लक्ष्य दिखाना क्या जानें।।
जग में सत्संग बिना मानव, सनमति गतिपाना क्या जाने।
जिनके उर में होता रहता, आगे पीछे का चिन्तन।
वह प्रेम योग उन परमेश्वर में, ध्यान लगाना क्या जानें।।
जग में सत्संग बिना मानव, सनमति गतिपाना क्या जाने।