Jahi Vidhi Rakhy ram जाही विधि राखें राम

Jahi Vidhi Rakhy ram जाही विधि राखें राम



सीता राम सीता राम सीता राम कहिए।

जाही विधि राखें राम वाही विधि रहिए।।

मुख में हो राम नाम राम सेवा साथ  में।

कैसे तू अकेला प्राणी राम तेरे साथ में।।

विधि का विधान जान हानि लाभ सहिए।

जाही विधि राखें राम वाही विधि रहिए।।

किया अभिमान तो फिर मान नहीं पाएगा।

होगा वही प्यारे जो राम जी को भाएगा।। 

फल की तु आशा त्याग शुभ कर्म करते रहिए।

जाही विधि राखें राम वाही विधि रहिए।।

जिन्दगी की डोर सौंप दीनानाथ के।

महलों में राखें चाहे झोंपड़ी में वास दे।।

धन्यवाद निर्विवाद राम राम कहिए।

जाही विधि राखें राम वाही विधि रहिए।।

आशा एक राम जी की दूजी आशा छोड़ दे।

नाता एक राम जी से दूजे नाते तोड़ दे ।।

साधु संग राम रंग अंग अंग रगिए।

काम रस त्याग प्राणी राम रस पगिए।

जाही विधि राखें राम वाही विधि रहिए।।

बिगडी जन्म अनेक की सुधरहिं अबहिं आज।

होइ राम को नाम जप, तुलसी तज कुसमाज।।

जाही विधि राखें राम वाही विधि रहिए।।