विष्णू के अवतार हो

विष्णू के अवतार हो



लीला

 

विष्णू के अवतार हो

राधा जी का प्यार हो

नन्द के तुम लाल हो

यशोधा के दुलारे हो

देवकी के सहारे हो

वृन्दावन की गलियों के

तुम्हीं पालनहार हो

गीता का उपदेश हो

बदलते कितने देश हो

दुनिया के रखवाले हो

तुम सबसे बड़े निराले हो

कैसे तुम्हैं पहचानूंगा

दुनिया की भीड़ में

कैसे तुम्हें पहचानूंगा

दुनिया के भीड़ में

सांवला तेरा रंग होगा

सलोना अगं अगं होगा

मिलने की आस में

मैं दौड़ा चला आउंगा

पर दुनियां की

मुख पर तुम्हारे तेज होगा

देख तुमको सबका रंग फीका होगा

तुम्हारी एक पुकार में

हो खिंचा चला आंउगा

पर दुनिया की भीड़

हाथों से बजती बांसुरी होगी

सारी दुनिया चूमती होगी

वही तो मेरा प्यार होगा

वही तो मेरा श्याम होगा

दुनियां की भीड़

एक ही सबका साहारा होगा

वो गिरधारी प्रीत तिहारी

सबसे न्यारी लगती प्यारी

कृष्ण अलबेला मिलन की बेला

मुरली बजावे रास रचावे

कुंज की गलियां कदम्ब की डलियां

लचकती कमरिया भरती गगरिया

मटटी में खूशबू कान्हा की आवे

झलक हमें उनकी दिखावें

यमुना का तट और लहरों का शोर

कृष्ण लीलाएं दुनियां में सराबोर।

 

 

सआभारः कोशुर समाचार मार्च 2015 व Vasudev Kanna वासुदेव कन्ना