Sage-Life साधु-संगति
मेहता कालूचंद अपने पुत्र नानक को खेती करने का आदेश देते हैं। नानक कहते हैं "मैंने अपने लिए एक नई खेती बोई है और वह अच्छी उगी है।" इस पर उनके पिता पूछते हैं—“वह खेती कहाँ है, हमें दिखाओ।" नानक उत्तर देते हैं – “इस शरीररूपी खेत में सत्कर्मों - का हल चलाकर परमात्मा के भजनरूपी बीज को मैंने बोया है। साधु-संगति का इसमें पानी देता रहता हूँ और संतोषरूपी खाद लगाता हूँ।" वह घर धन्य है जहाँ ऐसी खेती होती है ।
साभारः- अगस्त, 2004, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या -16