एक घने झुरमुट में उल्लुओं की जमात रहती थी। एक दिन कहीं से हंस उड़ता हुआ वहाँ आ पहुँचा और ठहर गया।
हंस समझाता रहा, भाइयो! बाहर निकलो, सूर्य के प्रकाश से संसार कितना सुंदर लगता है! चलो उसे तो देखो। उल्लू सूर्य के अस्तित्व से सर्वथा इनकार करते रहे और उसकी सलाह को हँसी में उड़ाकर मूर्ख कहने लगे ।
बुलबुल ने हंस को समझाया, वंश परंपरा के अनुसार ही मान्यता बनाकर जो लोग चलते हैं, उन्हें औचित्य समझाना बहुत कठिन है। आप चुप रहें।
साभारः- अगस्त, 2004, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या -05