Selection चयन
आर्यसम्राट बिंदुसार के कई पुत्र थे। उन्होंने अपने राजकुमारों में से एक का चयन राजपद के लिए करने का निर्णय लिया। इस हेतु उन्होंने कुलगुरु महात्मा पिंगल को राजमहल आमंत्रित किया और उनसे प्रार्थना की कि वे सर्वाधिक योग्य राजकुमार का चयन करके उन्हें बताएँ। सभी राजकुमारों को बुलवाया गया। सभी राजकुमार वहाँ सज-धज कर पहुँचे, परंतु राजकुमार अशोक साधारण वस्त्रों में आए। भोजन में अन्य राजकुमारों ने स्वर्ण पात्रों का प्रयोग किया, परंतु अशोक ने मिट्टी के बरतनों में भोजन किया। अंत में महात्मा पिंगल ने अशोक से प्रश्न पूछा-' "वत्स! तुम्हारी शिक्षा का क्या सार है ?" अशोक ने उत्तर दिया- "गुरुवर! वैसे तो मैंने बहुत कुछ पढ़ा है, परंतु मुख्य शिक्षा यही पाई है कि बड़ों का आदर करो, दुखियों के कष्ट मिटाओ और कमजोर, दुर्बल, दीन-हीन मनुष्यों की यथासंभव सहायता करो। मैं इन्हीं शिक्षाओं को जीवन में उतारने का प्रयत्न करता हूँ।" महात्मा पिंगल ने सम्राट बिंदुसार को अपना निर्णय सुना दिया कि राजकुमार अशोक ही हर दृष्टि से राजपद के अधिकारी हैं।
साभारः- सितंबर, 2016, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 22