Satisfaction संतुष्टि

Satisfaction संतुष्टि

राजा अंबरीष नगर भ्रमण पर निकले। उन्होंने देखा कि एक युवक खेत में हल जोत रहा है और मस्ती से गीत गुनगुना रहा है। राजा ने युवक से उसकी मस्ती का रहस्य पूछा । युवक बोला – “मैं अपनी मेहनत की कमाई बाँट करके खाता हूँ और हर क्षण भगवान को याद करके संतुष्ट व प्रसन्न रहता हूँ।" राजा ने उससे पूछा 'वह कितना कमाता है।" युवक बोला- -"मैं रोज एक रुपया कमाता हूँ, और उसे चार जगह बाँट देता हूँ। माता-पिता ने मुझे पाला है, उन्हें कृतज्ञताज्ञापन के रूप में चार आने देता हूँ। चार आने अपनी पत्नी व बच्चों पर खरच करता हूँ। चार आने राजऋण के रूप में चुकाता हूँ व शेष चार आने गरीबों व बीमारों की सेवा में लगाता हूँ।" राजा को उस युवक किसान की मस्ती का रहस्य समझ में आ गया।

साभारः- सितंबर, 2016, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 10