Saddened by Loss हानि से दुखी
भिखारी ने हाथ आगे बढ़ाया, पर जेब में कुछ न निकला। अश्वपति कुछ दुखी से होकर घर गए, एक बरतन उठाकर ले आए और भिखारी को दे दिया।
थोड़ी देर में अश्वपति की पत्नी आई और बरतन न पाकर चिल्लाई- “अरे ! चाँदी का बरतन भिखारी को दे दिया! दौड़ो-दौड़ो, उसे वापस लेकर आओ।”
अश्वपति ने आगे बढ़कर भिखारी को रोककर कहा – “भाई ! मेरी पत्नी ने बताया है कि यह गिलास चाँदी का है, उसे सस्ता मत बेच देना।"
एक पड़ोसी ने पूछा- “अश्वपति ! जब तुम्हें पता हो गया था कि गिलास चाँदी का है, तो भी उ गिलास क्यों ले जाने दिया ?”
अश्वपति ने हँसकर कहा- “मन को इस बात का अभ्यस्त बनाने के लिए कि वह बड़ी-से-बड़ी हानि में भी दुखी और निराश न हो।"
साभारः- जनवरी, 2006, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 32