Tree and Creeper वृक्ष और लता

Tree and Creeper वृक्ष और लता

वन में खड़े एक वृक्ष के साथ लिपटी हुई लता भी धीरे-धीरे वृक्ष के बराबर हो गई। वृक्ष का आश्रय लेकर उसने फलना फूलना आरंभ कर दिया।

लता को फलते-फूलते देखकर वृक्ष को अहंकार हो गया कि मैं न होता तो लता तो नष्ट हो गई होती। उसने धमकाते हुए कहा-" ओ री लता! मैं जो कुछ कहूँ, उसका पालन किया कर, नहीं तो तुझे मारकर भगा दूँगा।"

अभी वह लता को डाँट ही रहा था कि दो पथिक उधर से निकले। एक बोला- "बंधु! देखिए, यह वृक्ष कैसा शीतल और सुंदर है ! इस पर कैसी अच्छी लता पुष्पित हो रही है। आओ, यहाँ कुछ देर बैठकर विश्राम करें।"

अपना सारा महत्त्व लता के साथ है, यह सुनकर वृक्ष का सारा अभिमान नष्ट हो गया। उस दिन से उसने लता को धमकाना बंद कर दिया।

साभारः- जनवरी, 2006,अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 18