Allah Ka Upkar अल्लाह का उपकार

Allah Ka Upkar अल्लाह का उपकार

शेख सादी ईरान के प्रसिद्ध विचारक व दार्शनिक व्यक्ति थे। एक बार उन्हें घोर अर्थाभाव (धन की कमी) से गुजरना पड़ा। यहाँ तक की जूतियाँ खरीदने के लिए पैसे भी नहीं थे। अपनी दीन दशा पर उनका दिल रो पड़ा। वे बोले, “हे खुदा! यह तेरा कैसा इंसाफ है? मैं हर रोज तुझे याद करता हूँ, फिर भी मुझे इस तरह गरीबी में दिन काटने पड़ रहे हैं।“

    इस प्रकार विचारों में डूबे हुए और अपने दुःख को याद कर के और अधिक दुःखी होते हुए वे हताश मन से मस्जिद में नमाज़ पढ़ने गए। मस्जिद के पास उन्होंने एक लंगड़े आदमी को भीख मांगते देखा।

    भिखमंगे को देख कर शेख सादी की आँखें खुल गईं। इस अपंग आदमी के दुःख की तुलना में उन्हें अपना दुःख बिल्कुल नगण्य मालूम हुआ। उन्होंने नमाज़ पढ़ी। अल्लाह का उपकार मानते हुए उन्होंने कहा, “हे परवदिगार, मेरी बेअदबी माफ करना। तूने सचमुच मुझ पर बड़ा रहम किया है कि मेरे दोनों पैर कम-से-कम सही सलामत रखे हैं।“