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चैत्र कृष्ण पक्ष, शुक्रवार, चर्तुथी
  • प्रतिक्षण यह शरीर नष्ट होता रहता है, परन्तु दिखता नहीं।

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  • साहित्य यदि नष्ट हो जाए तो उस राष्ट्र का सब कुछ समाप्त हुआ समझो। लेकिन सब कुछ खत्म होने के पश्चात भी यदि साहित्य जिंदा है तो राष्ट्र कभी नष्ट नहीं होगा।

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  • हर चीज बदलती है, नष्ट कुछ नहीं होता है।

     

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